सही रत्न से सफल होंगे जतन
ग्रह के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए आप रत्नों को धारण करते हैं । इन रत्नों में कौन सा रत्न किस के साथ पहनना चाहिए, किस के साथ नहीं, यह भी जानना अति आवश्यक है, वरना प्रभाव नकारात्मक हो सकता है ।
अगर कोई ग्रह आपके लिए अशुभ है, या फिर इसका प्रभाव कम है, तो रत्न इस समस्या का उत्तम उपाय माने जाते हैं । कई लोग एक से अधिक रत्न धारण करते हैं । रत्नों का प्रभाव सकारात्मक रहे, इसके लिए इनका चुनाव ध्यान से करना चाहिए । खासतौर पर यह जानना जरूरी है कि इन सभी रत्नों में एक साथ कौन सा रत्न किसके साथ धारण किया जाए और किसके साथ नहीं ।
माणिक्य के साथ अगर नीलम, गोमेद, लहसुनिया पहना जाए, तो वह नुकसानदेह साबित हो सकता है । इसी तरह मोती के साथ हीरा, पन्ना, नीलम, गोमेद धारण करने पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है । पन्ना के साथ मूंगा, मोती, पुखराज के साथ हीरा, नीलम, गोमेद, हीरे के साथ माणिक, मोती, मूंगा, पुखराज, नीलम के साथ माणिक्य, मोती, पुखराज, गोमेद के साथ माणिक्य, मूंगा, पुखराज, लहसुनिया के साथ माणिक, मूंगा पहनने से भी प्रभाव फीका या नकारात्मक पड़ सकता है ।
■ सूर्य को शक्तिशाली बनाने के लिए 3 रत्ती का माणिक्य स्वर्ण की अंगूठी में अनामिका उंगली में रविवार के दिन पुष्प योग में धारण करें ।
■ चंद्रमा को अपने अनुकूल बनाना है तो २, ४ या ६ रत्ती का मोती चांदी की अंगूठी में शुक्ल पक्ष में सोमवार को रोहिणी नक्षत्र में धारण करना ठीक रहेगा ।
■ इसी तरह मंगल के लिए पांच रत्ती मूंगे को स्वर्ण में जड़वाकर मंगलवार को अनुराधा नक्षत्र में सूर्योदय से 1 घंटे बाद तक के समय में धारण करना चाहिए ।
■ पन्ना बुध ग्रह का प्रधान रत्न है । मयूर पंख जैसे रंग वाला पन्ना सबसे बढ़िया माना जाता है । कम से कम ६ रत्ती वजन का पन्ना सबसे छोटी उंगली में स्वर्ण की अंगूठी में बुधवार को सुबह उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में धारण करना चाहिए ।
■ बृहस्पति को मजबूत बनाने के लिए ५, ६, ९ या ११ रत्ती का पुखराज स्वर्ण की अंगूठी में तर्जनी उंगली में गुरु पुष्य योग में शाम के समय धारण करना चाहिए ।
■ शुक्र के लिए कम से कम २ कैरेट का हीरा मृगशिरा नक्षत्र में बीच की उंगली में धारण किया जाना चाहिए ।
■ शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम, ३, ६, ७ या १० रत्ती का मध्यमा उंगली में शनिवार को श्रवण नक्षत्र में पांच धातु की अंगूठी में धारण करना चाहिए ।
■ राहु के लिए छह रत्ती का गोमेद, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में बुधवार या शनिवार को धारण करना चाहिए । इसे पंचधातु में तथा मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए ।
■ केतु के लिए 6 रत्ती का लहसुनिया गुरु पुष्य योग में गुरुवार को सूर्योदय से पूर्व धारण करना चाहिए । इसे पंचधातु में मध्यमा उंगली में पहने